शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69000 शिक्षकों की भर्ती की मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया है। साथ ही बेंच ने सरकार को सहायक अध्यापक भर्ती परीक्षा का परिणाम नए सिरे से जारी करने का आदेश दिया है। बेसिक शिक्षा विभाग को 3 महीने में नई चयन सूची जारी करनी होगी।
शिक्षकों की भर्ती में 19 हजार सीटों पर आरक्षण घोटाला कोर्ट में साबित हुआ। ऐसे में बेंच ने आदेश दिया है कि आरक्षण नियमावली 1981 और आरक्षण नियमावली 1994 का पालन करते हुए नई सूची बनाई जाए।

यह फैसला इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ डबल बेंच ने लिया। इससे पहले लखनऊ हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने भी माना था कि 69000 शिक्षकों की भर्ती में 19000 सीटों पर आरक्षण घोटाला हुआ है।
अब नौकरी कर रहे लोगों का क्या होगा?
नई मेरिट लिस्ट तैयार होने से पिछले 4 साल से नौकरी कर रहे हजारों शिक्षक नौकरी से बाहर हो सकते हैं। लेकिन उन्हें नौकरी से निकाला जाएगा या नहीं, यह साफ नहीं है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि अगर नई मेरिट लिस्ट बनाने में कार्यरत शिक्षकों को नुकसान होता है तो उन्हें सत्र लाभ दिया जाए। यानी वह मौजूदा शैक्षणिक सत्र तक पद पर काम करते रहेंगे।
हमारे विशेषज्ञ और सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता ने बताया कि मामले में दोनों पक्षों से जुड़ी 90 विशेष अपीलों पर खंडपीठ ने अपना फैसला सुनाया है। इसके अनुसार, राज्य सरकार को तीन महीने में नई सूची जारी करने की प्रक्रिया पूरी करनी है। एकल न्यायाधीश ने जनवरी 2022 के फैसले से 6800 अभ्यर्थियों की चयन सूची को खारिज कर दिया था। हालांकि खंडपीठ ने उस फैसले में हस्तक्षेप नहीं किया है। लेकिन खंडपीठ के फैसले से आरक्षित वर्ग की सीटों में भारी उलटफेर होगा, जिससे कई लोगों की नौकरी जा सकती है। खंडपीठ के फैसले के खिलाफ पीड़ित अभ्यर्थी और राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं। अगर सुप्रीम कोर्ट हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाता है तो अंतिम फैसला आने तक किसी की नौकरी नहीं जाएगी। खंडपीठ का फैसला लागू होने पर आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को विशेष लाभ मिलेगा। अब सुप्रीम कोर्ट जा सकती है सरकार
बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी ने बताया- हाईकोर्ट की डबल बेंच के आदेश के खिलाफ सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल कर सकती है। बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने हाईकोर्ट के आदेश का विधिक परीक्षण कराना शुरू कर दिया है। मामले में कोई भी निर्णय बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सहमति के बाद ही लिया जाएगा।
क्या है यूपी 69,000 शिक्षक भर्ती का पूरा विवाद-
सुप्रीम कोर्ट ने 1 लाख 37 हजार शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन रद्द किया
साल 2014 में उत्तर प्रदेश की तत्कालीन अखिलेश सरकार ने 1 लाख 37 हजार शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजित किया था. इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और 25 जुलाई 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने करीब 1 लाख 37 हजार शिक्षामित्रों का समायोजन रद्द करने का आदेश दिया. मतलब अखिलेश सरकार ने जिन शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक बनाया था, वो फिर से शिक्षामित्र बन गए.
इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 1 लाख 37 हजार पदों पर भर्ती का आदेश प्रदेश में नवगठित योगी सरकार को दिया. योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि हम एक साथ इतने पद नहीं भर सकते. फिर सुप्रीम कोर्ट ने दो चरणों में सभी पदों को भरने का आदेश दिया. इस आदेश के बाद योगी सरकार ने सबसे पहले 2018 में 68,500 पदों पर वैकेंसी निकाली। फिर दूसरे चरण में 69,000 सहायक शिक्षकों की भर्ती की, जिसमें आरक्षण विवाद चल रहा है।